प्रयागराज: फुटपाथ पर गुजर-बसर करने वाले एक बुजुर्ग बाबा, जिनकी आंखों से तीन साल पहले मोतियाबिंद ने दुनिया की रोशनी छीन ली थी, अब फिर से स्पष्ट देख सकते हैं। यह चमत्कार संभव हुआ 'मदद फाउंडेशन' (Madad Fiundation) और प्रख्यात नेत्र सर्जन डॉ. अनूप चौहान की अनूठी पहल से।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को इलाज हेतु 'मदद फाउंडेशन' ने दिए 8 हजार रुपए - By Madad Foundation
मदद फाउंडेशन (Madad Fiundation), जिसके संस्थापक मंगला प्रसाद तिवारी (Mangla Prasad Tiwari) और उनकी पत्नी अमृता तिवारी (Amrita Tiwari) हैं, वर्षों से अपने अभियान 'रविवार की रसोई' के जरिए गरीब और निराश्रित लोगों को हर रविवार निःशुल्क भोजन वितरित करता है। इस दौरान फाउंडेशन की टीम नियमित रूप से बाबा को भोजन उपलब्ध कराती थी। एक दिन बातचीत में अमृता तिवारी (Amrita Tiwari) को पता चला कि बाबा मोतियाबिंद के कारण देख नहीं पाते। यह सुनकर फाउंडेशन ने बाबा की आंखों का इलाज कराने का बीड़ा उठाया।
मदद फाऊंडेशन द्वारा गरीब बच्चों के बीच नि:शुल्क किताब, कॉपी, कलम का वितरण - Madad Foundation
मंगला प्रसाद तिवारी (Mangla Prasad Tiwari) ने सोशल मीडिया पर बाबा की कहानी साझा कर ऑपरेशन के लिए मदद मांगी। इस अपील का जवाब देते हुए डॉ. अनूप चौहान ने निःशुल्क ऑपरेशन की जिम्मेदारी ली। प्रारंभिक जांच, दवाएं और उपचार के बाद 21 अप्रैल 2025 को बाबा की आंखों का सफल ऑपरेशन हुआ। अब बाबा नई रोशनी के साथ दुनिया को देख रहे हैं।
अपनी दृष्टि वापस पाकर भावुक बाबा ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि फिर से देख पाऊंगा। मदद फाउंडेशन, मंगला जी, अमृता जी और डॉ. चौहान ने मेरी जिंदगी में उजाला भर दिया।
मदद फाउंडेशन की यह पहल शहर में चर्चा का विषय बनी है। 'रविवार की रसोई' के अलावा ऐसे नेक कार्यों से फाउंडेशन जरूरतमंदों के जीवन में उम्मीद की किरण जगा रहा है। मंगला प्रसाद और अमृता तिवारी (Amrita Tiwari) अपने बच्चों के साथ मिलकर हर रविवार भोजन तैयार करते हैं और इसे जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं, जो समाज के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है।
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