मदर्स डे विशेष: "प्रयाग की प्रेरणा बना अमृता तिवारी का पुनीत मिशन"

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प्रयागराज। मां का प्यार सिर्फ अपने बच्चों तक सीमित नहीं होता, यह अनजान चेहरों तक भी पहुंचता है, जहां जरूरत होती है। प्रयागराज की अमृता तिवारी ऐसी ही एक मां हैं, जिनके लिए हर रविवार 'मदद फाउंडेशन' की 'रविवार की रसोई' के जरिए सैकड़ों जरूरतमंदों को भोजन परोसना ममता का दूसरा रूप है। इस मदर्स डे पर, हम उनकी कहानी साझा कर रहे हैं, जो एक मां के निस्वार्थ प्रेम और समर्पण की जीवंत मिसाल है।

घर से सड़कों तक: ममता का सफर

अमृता तिवारी, अपने पति मंगला प्रसाद तिवारी और बच्चों के साथ, हर रविवार सुबह जल्दी उठकर रसोई में व्यस्त हो जाती हैं। उनके हाथों से तैयार भोजन के पैकेट सिर्फ खाना नहीं, बल्कि जरूरतमंदों के लिए उम्मीद और प्यार का प्रतीक हैं। "मेरे लिए यह सिर्फ भोजन वितरण नहीं, बल्कि उन लोगों तक मां का प्यार पहुंचाने का जरिया है, जिन्हें कोई सहारा नहीं," अमृता भावुक होकर कहती हैं। उनके बच्चे भी इस नेक काम में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देते हैं, जो अमृता की ममता को और गहरा बनाता है।

हर मौसम में मां का दुलार

चाहे गर्मी की तपिश हो, सर्दी की ठिठुरन या बारिश की चुनौती, अमृता का जुनून कभी कम नहीं होता। 'मदद फाउंडेशन' के तहत वह और उनकी टीम हर रविवार करीब 100 जरूरतमंदों को भोजन और पानी की बोतलें बांटते हैं। अमृता बताती हैं, "जब मैं किसी भूखे बच्चे या बुजुर्ग को खाना देती हूं और उनके चेहरे पर मुस्कान देखती हूं, मुझे लगता है जैसे मैंने अपने बच्चों को खिलाया हो।" हर माह 500 लोगों तक भोजन पहुंचाने का लक्ष्य रखने वाली अमृता अपने परिवार की कमाई का 10 प्रतिशत इस कार्य में लगाती हैं। भोजन की शुद्धता के लिए वह खुद और उनके बच्चे घर पर ही पैकेट तैयार करते हैं, और हर बार मेन्यू बदलकर जरूरतमंदों को कुछ नया परोसते हैं।

'सर्दी के सिपाही': मां की गर्माहट

अमृता की ममता सिर्फ भोजन तक सीमित नहीं। सर्दियों में 'सर्दी के सिपाही' अभियान के तहत वह गरीबों और असहाय लोगों को कपड़े, जूते-चप्पल, स्वेटर और जैकेट बांटती हैं। पुराने कपड़ों को एकत्र कर जरूरतमंदों तक पहुंचाने का यह काम अमृता की ममता का विस्तार है। "मैं चाहती हूं कि कोई भी ठंड में ठिठुरे नहीं, जैसे एक मां अपने बच्चे को ठंड से बचाती है," वह कहती हैं।

बच्चों के लिए प्रेरणा, समाज के लिए मिसाल

अमृता न केवल जरूरतमंदों की मां हैं, बल्कि अपने बच्चों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके बच्चे इस सेवा कार्य में सहभागी बनकर न केवल मदद करते हैं, बल्कि मानवता और करुणा का पाठ भी सीखते हैं। अमृता कहती हैं, "मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे समझें कि मां का प्यार बांटने से बढ़ता है।"

अमृता तिवारी का कहना है कि मां का दिल सिर्फ अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए धड़कता है। हमारे द्वारा संचालित 'रविवार की रसोई' हर उस मां को समर्पित है, जो अपने प्यार और मेहनत से दुनिया को बेहतर बनाती है। अमृता का संदेश साफ है, "हर मां में इतनी ताकत है कि वह न केवल अपने बच्चों, बल्कि समाज के हर जरूरतमंद की जिंदगी संवार सकती है।"

अमृता लोगों के लिए बन रही हैं प्रेरणा 

अमृता अपने इन नेक कामों से इधर-उधर विचरण कर रहे मंदबुद्धि, बेबस, असहाय, बुजुर्ग आदि के लिए मसीहा बनी हुई है। अपने परिजनों की सेवा व बच्चों की देखभाल जैसी व्यस्तता के बावजूद मानवता के लिए प्रेरणास्रोत भी बनी है। उनके इन्हीं सेवा कार्यों के लिए 'आइकंस ऑफ प्रयागराज 2024' एवं 'प्रयाग भूषण सम्मान 2024' से  नवाजा जा चुका है।


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